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Saturday, June 13, 2020

What is Artificial Inteligenc (AI) in Hindi ?


What is Artificial Inteligenc (AI) in Hindi ?



INTRODUCTION (इंट्रोडक्शन)
जब से कंप्यूटर और मशीनों का आविष्कार हुआ है उनकी कार्यकर्ता करने की क्षमता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है मनुष्य ने अपने अलग-अलग कामों के अनुसार कंप्यूटर सिस्टम की क्षमता और कार्यकुशलता को बढ़ाने पर भी जोर दिया है और कहीं ना कहीं हम उसे बड़ा पाने में सफल ही हुए हैं और उन्हें आज इतना विकसित कर पाए हैं कि वह मनुष्यों के बिना भी कई काम कर सकते हैं या थोड़ी बहुत ही गाइडेंस की आवश्यकता होती है इसी कड़ी में कंप्यूटर की एक शाखा जिसका नाम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI) जुड़ती है जोकि कंप्यूटर को मनुष्य जैसी बुद्धिमत्ता प्रदान करने पर जोर देती है और उसकी ओर अग्रसर है।
आज हम देखेंगे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एआई क्या है इसका इतिहास क्या है और यह कैसे काम करता है इत्यादि  चीजें।


WHAT IS ARTIFICIAL INTELIGENC IN HINDI
(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है हिंदी में ?)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पिता‌‌ जॉन मैकार्थी जो कि एक अमेरिकन साइंटिस्ट थे जिनके अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंटेलिजेंट मशीन सखारकर कंप्यूटर प्रोग्राम्स बनाने की विज्ञान और अभियांत्रिकी है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर या फिर कंप्यूटर कंट्रोल रोबोट या फिर इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर को बनाने का तरीका है जिस प्रकार मनुष्य सोचता है और अपनी बुद्धिमत्ता से काम लेता है ठीक उसी प्रकार।
जिस प्रकार मनुष्य सीखता है सोचता है अपने दिमाग से काम लेता है और निर्णय लेता है किसी एक समस्या का निदान प्रॉब्लम सॉल्विंग में और इन सभी चीजों का इस्तेमाल करके वह एक फाइनल रिजल्ट देता है इसी तरह से काम कराने पर एआई सिस्टम भी बेस्ड है और कुछ इसी प्रकार से इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर और सिस्टम को डिवेलप किया जाता है।



What is Artificial Inteligenc (AI) in Hindi ?




OBJECTIVE OF AI IN HINDI
(एआई के लक्ष्य हिंदी में ?)
यदि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को डिवेलप करने के मुख्य लक्ष्य की बात की जाए तो उसमें आता है एक्सपर्ट सिस्टम बनाना

एक्सपर्ट सिस्टम: यह ऐसे सिस्टम सोते हैं जोकि अपने पुराने  तजुर्बे यानी एक्सपीरियंस से सीख सकें और खुद को इम्प्रूव कर सकें और बाद में यूजर को एडवाइज दे सके चीजों को समझ कर  और रिक्वायर्ड रिजल्ट दे सकें।

इंटेलिजेंट मशीन स्कोर डेवलप करना: इसमें ऐसे सिस्टम की डेवलपमेंट आती है जो कि ठीक मनुष्य की तरह सोच सके सीख सकें और निर्णय ले सके हालांकि अभी इस पर काम चल रहा है और पूर्णता बौद्धिक मशीन को डेवलप किया जाना अभी बाकी है जिसके लिए डीप लर्निंग की आवश्यकता पड़ेगी।


TYPE OF ARTIFICIAL INTELLIGENCE IN HINDI
(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार हिंदी में ?)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कई तरह से कैटिगराइज किया जाता है परंतु इसके दो मुख्य प्रकार नीचे दिए गए हैं-
1) वीक एआई (WEEK AI)
2) स्ट्रांग एआई(STRONG AI)


1)WEEK AI(वीक एआई):
इन एआई को कुछ इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि यहां सिर्फ कुछ खास काम ही कर सकें जैसे कि उदाहरण के तौर पर गूगल के वॉइस असिस्टेंट को ले ले वह एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है वीक एआई का वीक एआई को हम  नैरो एआई भी कहते हैं।

2)STRONG AI(स्ट्रांग एआई):
स्ट्रांग एआई को हम जनरल इंटेलिजेंस एआई भी कह सकते हैं क्योंकि इससे वीक एआई की तरह सिर्फ किसी खास कार्य के लिए डिजाइन नहीं किया जाता है बल्कि इसे उसकी तुलना में काफी बुद्धिमत्ता दी जाती है जिससे यहां बाद में दिया गया कोई कठिन कार्य भी आसानी से कर सकता है।
टर्निंग टेस्ट को मैथमेटिशियंस एलन टर्निंग के द्वारा सन 1950 में डेवलप किया गया था जिसका इस्तेमाल यह जानने में किया गया था कि क्या कंप्यूटर इंसानों की तरह सोच सकते हैं।
Arend Hintze जोकि इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर हैं मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में  उन्होंने एआई को चार हिस्सों में बांटा है जो कि कुछ इस प्रकार हैं:

1)REACTIVE MACHINE(रिएक्टिव मशीन)
2)LIMITED MEMORY(लिमिटेड मेमोरी)
3)THEORY OF MIND(थ्योरी ऑफ माइंड)
4) SELF AWARENESS(सेल्फ अवेयरनेस)


1)REACTIVE MACHINE(रिएक्टिव मशीन): आईबीएम चेस प्रोग्राम डीप ब्लू इसका एक उदाहरण है जिसने गैरी कासपरोव को सन 1990 में हराया था।
ब्लू का डिजाइन ऐसे किया गया है कि या चैस की गोट को एनालाइज कर सके आईडेंटिफाई करके और उसके हिसाब से प्रेडिक्शन कर सके परंतु इसकी खुद की कोई मेमोरी नहीं है जिससे यह अपनी पुरानी चाल को याद नहीं रख पाता जिसे कि यह भविष्य में इस्तेमाल कर सकें।


2)LIMITED MEMORY(लिमिटेड मेमोरी): इस प्रकार के सिस्टम में सीखने की कला होती है और यह अपने पुराने तजुर्बे यानी एक्सपीरियंस से सीखते हैं और अपने भविष्य में डिसीजन लेते हैं।
ऑटोनॉमस  वाहनों मे डिसीजन मेकिंग फंक्शन का इस्तेमाल किया जाता है  जो कि भविष्य में दुर्घटना रोकने में  या यूं कहें कि कुछ कम करने में भी काम आते हैं।


3)THEORY OF MIND(थ्योरी ऑफ माइंड): यह कर्म साइकोलॉजी से जुड़ा हुआ है इसमें यह दर्शाया जाता है की दूसरों का अपना विश्वास इच्छाएं एवं मनसा होती हैं जो कि उनके निर्णय पर प्रभाव डालते हैं इस प्रकार का ए आई अभी दुनिया में मौजूद नहीं है।


4)SELF AWARENESS(सेल्फ अवेयरनेस): इस कैटेगरी में आने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सिस्टम मे खुद की तार्किक क्षमता होती है और अपनी एक सजगता होती है इसमें वह अपनी मौजूदा स्थिति को समझते हैं और उन्हीं जानकारियों का इस्तेमाल करके यह समझते हैं कि दूसरे इस विषय में क्या महसूस करते हैं इस प्रकार के बी.ए.आई यानी कि कृत्रिम बौद्धिक वाले सिस्टम अभी दुनिया में नहीं है।


EXAMPLE OF AI TECHNOLOGY IN HINDI
(एआई टेक्नोलॉजी के उदाहरण हिंदी में ?)

*AUTOMATION PROCESS(ऑटोमेशन प्रक्रिया) के जरिए सिस्टम और प्रोसेस फंक्शन को स्वचालित कर दिया जाता है जैसे कि रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन भी प्रोग्राम किया जाता है ताकि वह बार-बार रिपीट होने वाले कामों को कर सके ऑटोमेशन दो प्रकार के होते हैं आरपीए एवं आईटी आरपीएफ ऑटोमेशन सिस्टम परिस्थितियों के हिसाब से खुद में बदलाव करता है और उस हिसाब से कार्य करता है और निर्णय लेता है जबकि आईटी ऑटोमेशन सिस्टम में ऐसा नहीं होता उसमें परिस्थितियों को नहीं देखा जाता।

*MACHINE LEARNING(मशीन लर्निंग) एआई का एक सबसेट है जोकी बीना प्रोग्राम किए ही कार्य करता है और इसका सबसेट है डीप लर्निंग जोकि और भी जादा डाटा को प्रोसेस करके इंटेलिजेंट बनाया जाता है और इसकी निर्णय क्षमता सबसे ज्यादा अधिक होती है और यह सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट सिस्टम होता है।
इस प्रकार से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अंदर मशीन लर्निंग आता है और मशीन लर्निंग के अंदर डीप लर्निंग आता है
इनका प्रयोग ऑटोनॉमस यानी स्वचालित सिस्टम को डिवेलप करने के लिए किया जाता है जिसमें मनुष्य का हस्तक्षेप या तो नहीं चाहिए होता है या फिर बहुत ही कम चाहिए होता है।
मशीन लर्निंग में मुख्यत तीन प्रकार के एल्गोरिदम है--

1)Supervisor Machine Learning (सुपरवाइजर मशीन लर्निंग)
2)Unsupervisor Machine Learning (अनसुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग)
3)Reforcement Machine Learning (रइंफोर्समेंट मशीन लर्निंग)

*MACHINE VISION(मशीन विजन) जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है हम इस विज्ञान के माध्यम से कंप्यूटर को देखने की काबिलियत प्रदान कर सकते हैं इसमें कंप्यूटर को विजुअल इंफॉर्मेशन कैमरा की मदद से कैप्चर करने योग्य बनाते हैं और साथ ही कैप्चर की गई इंफॉर्मेशन को एनालाइज किया जाता है और इसी के साथ-साथ analog-to-digital कन्वर्जन और डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में भी कन्वर्ट किया जाता है इसकी तुलना इंसानी आंखों के साथ भी की जा सकती है क्योंकि यह भी मनुष्य की तरह देखकर चीजों को समझता है और कुछ निर्णय पर पहुंचता है परंतु मशीन विजन की कोई भी लिमिटेशंस नहीं है क्योंकि मनुष्य की आंखें दीवार के आर पार नहीं देख सकती किंतु या दीवार के आरपार भी देख सकता है या इसे जिस प्रकार का कैमरा लगाया जाता है या डिवाइसेज से अटैच किया जाता है उस पर निर्भर करता है इसका इस्तेमाल मेडिकल में भी किया जाता है।


*NATURAL LANGUAGE PROCESSING(नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग) (एनएलपी) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम किसी कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से ही इंसानी भाषा को मशीन के द्वारा समझने योग्य मशीन बनाते हैं स्पैम डिटेक्शन इसका सर्वोत्तम उदाहरण है जैसे कि उसमें प्रोग्राम स्वता ही निर्णय कर लेता है कि कौन सा टेक्स्ट ओरिजिनल ईमेल है और कौन सा स्पैम ईमेल है एनएलपी मुख्यतः टेक्स्ट ट्रांसलेशन, सेंटीमेंट एनालिसिस ,स्पीच रिकॉग्निशन आदि में काम आता है।


*PATTERN RECOGNITION(पेटर्न रिकॉग्निशन) यह मशीन लर्निंग की एक शाखा है और इसमें हम डाटा के पैटर्न को पता करते हैं जिसका बाद में हम डाटा एनालिसिस में इस्तेमाल करते हैं।


*ROBOTICS(रोबोटिक्स) बात आई मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग क्या है और उसमें रोबोटिक्स का जिक्र आना अनिवार्य सा हो जाता है क्योंकि इन सब के बिना आधुनिक रोबोटिक्स कहीं अधूरा सा है और बहुत ही पीछे छूट जाता है क्योंकि जो काम हम इंसानों के लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल है वहां हम आजकल रोबोट का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह उसी काम को बहुत ही सरलता और सहजता से कर लेते हैं और रोबोटि में हम अब इंटेलिजेंट सिस्टम वाले रोबोट्स बना रहे हैं जिन्हें कि बार-बार हम इंस्ट्रक्शंस देने की आवश्यकता ना पड़े।


APPLICATION OF AI IN HINDI
(एआई का कहां-कहां इस्तेमाल होता है हिंदी में)

AI IN HEALTH CARE(एआई स्वास्थ्य में): 
हेल्थ केयर में भी इन दिनों एआई का इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि यहां कम से कम लागत में मरीज का इलाज कर सकता है इसलिए अब बहुत सारी कंपनियां एआई का इस्तेमाल हॉस्पिटल में कर रही हैं जिससे कि मरीजों का इलाज जो सबसे ज्यादा जरूरी चीज है यानी कि समय पर समय रहते अच्छी तरह से कर दिया जाए।


AI IN BUSINESS(एआई व्यापार में): 
एआई ऑटोमेशन सिस्टम से लैस रोबोट का प्रयोग आजकल इंडस्ट्रीज और बहुत से व्यापार में किया जा रहा है जहां कि किसी काम को बार बार करना पड़ता है और इंसान इतना तेज उस काम को नहीं कर सकता वहां पर हम इन रोबोट्स का इस्तेमाल करते हैं।
यहां मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म को एनालिटिकल और सियारिन प्लेटफार्म के साथ इंटीग्रेट किया जाता है जिससे यह भी पता चल सके कि कैसे कंपनी अपने कस्टमर को और बेहतर सपोर्ट प्रोवाइड कर सकती हैं जैसे कि चैट बोर्ड को वेबसाइट से इनकॉरपोरेट किया जाता है ताकि वह अपने कस्टमर्स को शीघ्रता से सर्विस दे सकें।


AI IN LAW(एआई कानून मैं):
 यदि डॉक्यूमेंट बहुत ही ज्यादा मात्रा में हो तो उनकी पोस्टिंग एक जटिल कार्य होती है और ऐसे में एआई की मदद से हम उन डाक्यूमेंट्स को बहुत ही ज्यादा जल्दी प्रोसेस कर सकते हैं जोकि समय और लेबर दोनों की बचत कर देता है।


AI IN EDUCATION(एआई शिक्षा में):
आजकल एआई के मदद से ऑटोमेटिक ग्रेडिंग कर दी जाती है जिसकी वजह से अध्यापकों का समय व्यर्थ नहीं होता और उन्हें बच्चों को पढ़ाने का अधिक समय मिलता है एआई की मदद से बच्चों को अच्छी तरह से एग्जामिन किया जा सकता है कि वह कहां पर वीक है और कहां पर स्ट्रांग है ताकि उस छात्र की उस की जरूरत के अनुसार एकेडमिक्स में उसकी मदद की जा सकती सके।


AI IN FINANCE(एआई फाइनेंस में): 
फाइनेंस की फील्ड में डाटा एनालिसिस एक बड़ी ही परेशानी का विषय रहा है और इसमें काफी सारा पैसा और टाइम कंपनी इसको इन्वेस्ट करना पड़ता था जो कि अब एआई की मदद से काफी कम समय में किया जाने लगा है और कंपनियों को काफी ज्यादा मदद मिल रही है



OUR FUCTURE WITH ARTIFICIAL   INTELLIGENCE
(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ हमारा भविष्य)

हम इंसानों की जिज्ञासा की वजह से ही हम दिन-ब-दिन तरक्की करते जा रहे हैं और इसी तरक्की की वजह से अब हम मनुष्य बौद्धिक क्षमता रखने वाली मशीनों के डेवलपमेंट तक पहुंचाएं हैं और धीरे-धीरे हम विकास की ओर बढ़ते ही जा रहे हैं और इन मशीनों को और भी ज्यादा डिवेलप करते जा रहे हैं ताकि हमारी सारी जरूरतें पूरी हो सके और हमारे सारे काम आराम से हो सके और हमें मिलने वाले परिणाम भी एकदम सटीक हूं या यूं कहें कि हमें त्रुटि रहित कार्य चाहिए होता है इसलिए हम इन मशीनों को अधिक प्रयोग में ला रहे हैं और हमारी इसी जिज्ञासा की बदौलत हम मशीनों को धीरे धीरे बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली बनाते जा रहे हैं और हमारी उन पर निर्भरता भी बहुत ज्यादा बढ़ रही है और मशीनों को हम यह काबिलियत भी दे रहे हैं कि वह किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल सके किंतु यह हमारे लिए चिंताजनक स्थिति भी हो सकती है और शायद कभी ऐसा भी हो कि मशीन हमारे आर्डर ना माने और अपने ऊपर ही वह मशीनें ध्यान देने लग जाएं यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो यह मनुष्य को काफी नुकसान पहुंचा सकती है और यदि ऐसा नहीं भी होता है तो भी कहीं ना कहीं या बेरोजगारी जैसी समस्या को उत्पन्न करते जा रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों का काम कम से कम रोबोट के जरिए संपन्न किया जा रहा है।
एआई की वजह से हम थोड़े आलसी भी बनते जा रहे हैं और जो काम पहले हम आसानी से कर लेते थे अब हम वह काम भी नहीं करना चाहते हैं इसीलिए एआई के डेवलपमेंट के साथ-साथ उसका कंट्रोल भी आवश्यक है।


What is Artificial Inteligenc (AI) in Hindi ?


CONCLUSION(कंक्लूजन):
मुझे पूर्ण आशा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर यह लेख आप लोगों को जानकारी देने में सफल रहा यदि आपको यह लेख पसंद आया तो शेयर करना ना भूले इसमें हमने व्हाट इज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन हिंदी के सारे महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र किया है धन्यवाद।

1 comment:

  1. Hi Piyush,
    Such an amazing article.
    It's interesting to read more about how AI can be used in the Healthcare industry.
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    Thanks once again.

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